CURRENT AFFAIRS AUGUST 3


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1. कश्मीर में हलचल : अनुच्छेद 370 तथा अनुच्छेद 35-A


पिछले कुछ दिनों में कश्मीर में हलचल बढ़ जाने के बाद एक बार फिर से अनुच्छेद 370 तथा अनुच्छेद 35-A काफी सुर्ख़ियों में हैं। दरअसल हाल ही में कश्मीर में बड़ी संख्या में सैन्य बल की तैनाती से सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 तथा अनुच्छेद 35-A पर कदम उठाने की आशंका जताई जा रही है। हाल ही में कश्मीर के लिए 28,000 अतिरिक्त सैन्य भेजने का निर्णय लिया था। सरकार ने कश्मीर में वायुसेना तथा थलसेना को हाई अलर्ट पर रखा है। हालांकि सरकार की तरफ से इस सम्बन्ध में कोई भी आधिकारिक ब्यान जारी नही किया गया, अभी केवल अटकलें ही लगाई जा रहीं हैं। काफी लम्बे समय से इन अनुच्छेदों को हटाने की मांग की जा रही है। इन दो अनुच्छेदों का विस्तृत वर्णन निम्नलिखित है :

भारतीय संविधान का अनुच्छेद जम्म-कश्मीर राज्य से सम्बंधित है। इस अनुच्छेद के अनुसार जम्मू-कश्मीर विधानसभा को “स्थायी निवासी” के बारे में निर्णय लेने की शक्ति दी गयी है। उन स्थायी निवासियों को सार्वजनिक सेक्टर में नौकरी, जम्मू-कश्मीर में संपत्ति खरीदने की सुविधा तथा अन्य लाभ मिलते हैं। जो व्यक्ति जम्मू-कश्मीर का स्थायी निवासी नहीं है, वह जम्मू-कश्मीर में सम्पति नहीं खरीद सकता और न ही व जम्मू-कश्मीर में सरकारी नौकरी के लिए योग्य है।
पृष्ठभूमि
अनुच्छेद 35-A को भारतीय संविधान में 1954 में शामिल किया गया था, इसके लिए जवाहरलाल नेहरु कैबिनेट की अनुशंसा पर तत्कालीन राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने आदेश जारी किया था।
अनुच्छेद 35A 1952 के दिल्ली समझौते पर आधारित है, यह समझौते भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु तथा जम्मू-कश्मीर के प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्लाह के बीच हुआ था। इस समझौते के द्वारा जम्मू-कश्मीर के निवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान की गयी थी।
राष्ट्रपति द्वारा यह आदेश अनुच्छेद 370 (1) (d) के तहत जारी किया गया था, इस अनुच्छेद के अनुसार राष्ट्रति जम्मू-कश्मीर के लोगों के कल्याण के लिए संविधान में कुछ बदलाव कर सकते हैं।

अनुच्छेद 370

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के द्वारा जम्मू-कश्मीर राज्य को स्वायत्ता प्रदान की गयी है। इस अनुच्छेद के द्वारा जम्मू-कश्मीर के निम्नलिखित 6 विशेष प्रावधान किये गये हैं :
  • इस अनुच्छेद के द्वारा जम्मू-कश्मीर को भारतीय संविधान के दायरे से बाहर रखा गया है, जम्मू-कश्मीर राज्य का अपना अलग संविधान है।
  • जम्मू-कश्मीर पर केन्द्रीय विधानपालिका की शक्तियां सीमित हैं। केवल रक्षा, विदेश मामले तथा संचार पर ही केन्द्रीय विधानपालिका का नियंत्रण है।
  • राज्य सरकार की सहमती के पश्चात् ही जम्मू-कश्मीर में केन्द्रीय विधानपालिका की संवैधानिक शक्तियों को बढ़ाया जा सकता है।
  • यह सहमती अस्थायी होगी, इसके लिए राज्य विधानसभा में पारित करना आवश्यक है।
  • शक्तियों के विभाजन के सन्दर्भ में राज्य संविधान सभा की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है।
  • अनुच्छेद 370 को राज्य संविधान सभा की सिफारिश पर ही हटाया जा सकता है अथवा इसमें संशोधन किया जा सकता है।

2. राज्य सभा ने पारित किया अवैध गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) बिल 2019


राज्य सभा ने अवैध गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) बिल 2019 पारित कर दिया है। विपक्ष इस बिल को सेलेक्ट समिति के पास भेजने की मांग कर रहा था। इस बिल को लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह द्वारा 8 जुलाई को प्रस्तुत किया गया था।

मुख्य बिंदु
इस बिल के द्वारा देश में आतंकवादी गतिविधियों से निपटने में मदद मिलेगी। इस बिल के द्वारा अवैध गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 में संशोधन किया गया है।

अवैध गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के द्वारा किसी संगठन को ही आतंकवादी घोषित किया जा सकता है, परन्तु इस नए संशोधन के बाद किसी व्यक्ति को भी आतंकवादी घोषित किया जा सकता है। अवैध गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की अनुसूची 4 में संशोधन के बाद अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) किसी संदिग्ध व्यक्ति को आतंकवादी घोषित कर सकती है।

अवैध गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA)

अवैध गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के द्वारा भारत में अवैध काम कर रहे संगठनों पर रोक लागाई जाती है। इस तरह के संगठनों के अभिव्यक्ति के अधिकार, एकत्र होने के अधिकार इत्यादि पर भी अंकुश लगाया जाता है।

3. भारतीय सेना ने दिल्ली में लांच की इलेक्ट्रिक कार


भारतीय सेना ने दिल्ली में अधिकारीयों के उपयोग के लिए दिल्ली में इलेक्ट्रिक कारें लांच की है, इन कारों को 1 अगस्त, 2019 को लांच किया गया। शुरू में पायलट बेसिस पर 10 कारें लांच की गयी हैं। यह पहल को Energy Efficiency Services Limited (EESL) के साथ मिलकर लांच किया गया है।

Energy Efficiency Services Limited (EESL)
EESL की स्थापना केन्द्रीय उर्जा मंत्रालय के अंतर्गत उर्जा दक्षता प्रोजेक्ट्स के लिए क्रियान्वयन में सहायता के लिए की गयी थी। यह NTPC, पॉवर फाइनेंस कारपोरेशन (PFC), ग्रामीण विद्युतीकरण कारपोरेशन (REC) और पॉवरग्रिड का संयुक्त उद्यम है। यह राष्ट्रीय उर्जा दक्षता मिशन (NMEEE) के बाज़ार सम्बन्धी कार्य भी करता है। यह राज्यों के डिस्कॉम की क्षमता निर्माण के लिए संसाधन केंद्र के रूप में कार्य करता है। यह देश में विश्व के सबसे बड़े उर्जा दक्षता पोर्टफोलियो का क्रियान्वयन कर रहा है।

3. लोकसभा ने पारित किया जलियांवाला बाग़ राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) बिल, 2019


लोक सभा ने हाल ही में जलियांवाला बाग़ राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) बिल, 2019 पारित किया, इस बिल की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

जलियांवाला बाग़ राष्ट्रीय स्मारक अधिनियम, 1951 के तहत अमृतसर में 13 अप्रैल, 1919 को मारे गये मासूम लोगों की स्मृति में एक राष्ट्रीय स्मारक बनाने की व्यवस्था की गयी थी।
इस अधिनियम में राष्ट्रीय स्मारक के प्रबंधन के लिए एक ट्रस्ट की स्थापना की व्यवस्था की गयी थी।
1951 के अधिनियम द्वारा इस ट्रस्ट में प्रधानमंत्री, चेयरपर्सन, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष, संस्कृति मंत्री, लोकसभा में विपक्ष का नेता, पंजाब का गवर्नर, पंजाब का मुख्यमंत्री तथा केंद्र सरकार द्वारा मनोनीत तीन प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल होते हैं ।
2018 के संशोधन के द्वारा ट्रस्टी के रूप में कांग्रेस के अध्यक्ष को हटाए जाने की व्यवस्था है।
इस बिल में कहा गया है कि यदि लोकसभा में कोई विपक्ष का नेता न हो तो सबसे बड़े दल के नेता को ट्रस्टी चुना जायेगा।
1951 के अधिनियम में पांच वर्ष के कार्यकाल के लिए 3 प्रतिष्ठित व्यक्तियों को ट्रस्टी के रूप में शामिल करने का निर्णय लिया गया था।
2019 के संशोधन के द्वारा केंद्र सरकार को प्रतिष्ठित व्यक्ति के कार्यकाल को समाप्त करने का अधिकार दिया गया है।

     
4. भारतीय मानक ब्यूरो लेह में करेगा पश्मीना परीक्षण केंद्र.

भारतीय मानक ब्यूरो ने जम्मू-कश्मीर के लेह में पश्मीना परीक्षण केंद्र की स्थापना करने की घोषणा की है, इसका उद्देश्य पश्मीना की गुणवत्ता की परख करना है। इस केंद्र की स्थापना Ladakh Autonomous Hill Development Council (LAHDC) के साथ मिलकर की जायेगी। इस केंद्र में मानक परीक्षण प्रयोगशाला, मशीने तथा वैज्ञानिक होंगे।

पश्मीना
पश्मीना अच्छी गुणवत्ता की कश्मीरी ऊन है, पश्मीना एक कश्मीरी शब्द है जिसका अर्थ है “मुलायम सोना” । इसका उपयोग शाल, स्कार्फ इत्यादि बनाने में किया जाता है। यह ऊन कश्मीर के कारगिल, चांगथांग क्षेत्र में मालरा नामक बकरी से प्राप्त होती है। कश्मीरी पश्मीना को GI टैग भी प्राप्त है।

5. भारतीय मूल की भाषा मुखर्जी बनीं मिस इंग्लैंड


भारतीय मूल की डॉक्टर भाषा मुखर्जी हाल ही में मिस इंग्लैंड बनीं। 23 वर्षीय भाषा मुखर्जी के पास मेडिकल क्षेत्र में दो डिग्री हैं। भाषा मुखर्जी का जन्म भारत में हुआ था, बाद में उनका परिवार इंग्लैंड चला गया था। अब भाषा मुखर्जी मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता 2019 में हिस्सा लेंगी।
मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता 2019 का आयोजन लन्दन में 14 दिसम्बर को किया जायेगा।

6. संसद ने पारित किया यौन शोषण से बच्चों की सुरक्षा (संशोधन) बिल, 2019

संसद ने हाल ही में यौन शोषण से बच्चों की सुरक्षा (संशोधन) बिल, 2019 को पारित कर दिया है, इस बिल के द्वारा बाल यौन शोषण के अपराधियों को कड़ी सजा दी जायेगी। इस बिल के पहले लोकसभा द्वारा 24 जुलाई को पारित किया गया था, बाद में 1 अगस्त, 2019 को लोकसभा ने भी इस बिल को पारित कर दिया। इस बिल के द्वारा यौन शोषण से बच्चों की सुरक्षा अधिनियम (पोक्सो), 2012 में संशोधन किया गया है।

बिल की विशेषताएं

इस बिल में बाल यौन शोषण के अपराधियों के लिए न्यूनतम 7 से 10 वर्ष की सज़ा का प्रावधान है। यदि 16 वर्ष से कम की आयु के बच्चे का यौन शोषण किया जाता है तो अपराधी को 20 वर्ष से लेकर उम्र कैद तक की सज़ा दी जा सकती है।
यदि बाल शोषण से बच्चे की मृत्यु हो जाती है अथवा प्राकृतिक आपदा तथा हिंसा की स्थिति में बाल यौन शोषण किया जाता है तो इसके लिए न्यूनतम सज़ा 10 वर्ष से बढ़ाकर 20 वर्ष की गयी है, इसकी अधिकतम सजा मृत्युदंड है।
इस बिल के द्वारा अश्लील बाल साहित्य के लिए भी कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। बाल अश्लील साहित्य के स्टोरेज के लिए तीन से पांच वर्ष की सजा अथवा दोनों हो सकते हैं।

7. रूस से साथ की गयी इंटरमीडिएट रेंज न्यूक्लियर फोर्सेज संधि से अमेरिका अलग हुआ


हाल ही अमेरिका द्वारा इंटरमीडिएट रेंज न्यूक्लियर फोर्सेज संधि से पीछे हटने की पुष्टि की गयी है। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने घोषणा की थी  कि अमेरिका, रूस के साथ की गयी तीन दशक पुरानी इंटरमीडिएट रेंज न्यूक्लियर फोर्सेज संधि से अलग होगा, इस संधि पर शीत युद्ध के दौरान हस्ताक्षर किये गये थे।
इंटरमीडिएट रेंज न्यूक्लियर फोर्सेज (INF) संधि
यह शीतकाल की एक महत्वपूर्ण संधि थी, इस संधि के द्वारा 500-5000 किलोमीटर की भूमि से लांच की जाने वाली परमाणु मिसाइलों के निर्माण व परीक्षण पर प्रतिबन्ध लगाया गया था। इस संधि पर दिसम्बर, 1987 में अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन तथा उनके सोवियत संघ के समकक्ष मिखाइल गोर्बाचेव ने हस्ताक्षर किये थे।
इस संधि के द्वारा सभी परमाणु तथा पारंपरिक मिसाइलों (जिनकी रेंज 500-1000 किलोमीटर तथा 1000 से 5,500 किलोमीटर है) , उनके लांचर पर प्रतिबन्ध लगाया गया था। इस संधि के द्वारा दो महाशक्तियों के बीच हथियारों के विकास की दौड़ पर रोक लगी तथा यूरोप में अमेरिका के नाटो सहयोगियों का रूसी आक्रमण से बचाव भी हुआ। इस संधि का निर्माण यूरोप में स्थायित्व लाने के लिए किया गया था।

संधि से पीछे हटने के कारण

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने आरोप लगाया है कि रूस ने इस संधि का उल्लंघन करता है और पहले भी कई बार उल्लंघन कर चुका है। यह आरोप रूस की कथित नोवातोर 9M729 मिसाइल (SSC-8) के विकास व तैनाती की ख़बरों के बाद लगाया गया है, यह मिसाइल यूरोप पर बहुत कम समय में हमला कर सकती है। बराक ओबामा ने भी अपने कार्यकाल में 2014 में यह मुद्दा उठाया था। परन्तु रूस ने इन आरोपों को ख़ारिज किया तथा अमेरिका पर यूरोप में मिसाइल सिस्टम स्थापित करने का आरोप लगाया।